गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (१ अवतरण आयात किया गया)  | 
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परवाज़ नए ले, उड़ान भर के देख लो  | परवाज़ नए ले, उड़ान भर के देख लो  | ||
| − | + | 'आदित्य'को रुसवा जो कर रहे हो शहर में  | |
तो सारे गिरेबान इस शहर के देख लो    | तो सारे गिरेबान इस शहर के देख लो    | ||
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07:51, 27 अक्टूबर 2016 का अवतरण
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 मौसम है ये गुनाह का -आदित्य चौधरी 
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
