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परवाज़ नए ले, उड़ान भर के देख लो | परवाज़ नए ले, उड़ान भर के देख लो | ||
− | + | 'आदित्य'को रुसवा जो कर रहे हो शहर में | |
तो सारे गिरेबान इस शहर के देख लो | तो सारे गिरेबान इस शहर के देख लो | ||
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07:51, 27 अक्टूबर 2016 का अवतरण
मौसम है ये गुनाह का -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ