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तू जुलम करै अपनौ है कैंऽऽऽ -आदित्य चौधरी

तू जुलम करै अपनौ है कैंऽऽऽ

तू जुलम करै अपनौ है कैं
काऊ और की बात करुँ मैं का
अब दिनाउँ तो मो पै कटतु नाय
और रात की बात की करुँ मैं का

तू जुलम करै अपनौ है कैं...

सपने ऐसे तू दिखाय गयौ
और आंखिन मेंऊ बसाय गयौ
आवाज हर एक लगै ऐसी
तू आय गयौ तू आय गयौ

तू जुलम करै अपनौ है कैं...

तू समझ कैंऊँ नाय समझ रह्यौ
तू जान कैंऊँ नाय जान रह्यौ
मोहे सबकी बात चुभैं ऐसी
जैसे तीर कलेजाय फार रह्यौ

तू जुलम करै अपनौ है कैं...

का करूँ तीज त्यौहारी कौ
का करूँ मैं होरी दिवारी कौ
अब कौन के काजें सिंगार करूँ
का करूँ भरी अलमारी कौ

तू जुलम करै अपनौ है कैंऽऽऽ


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