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तुमको बताने का क्या फ़ायदा -आदित्य चौधरी

ज़िन्दगी में फ़साने बहुत हैं मगर
उनको सुनने सुनाने का क्या फ़ायदा
रोज़ जीते रहे
रोज़ मरते रहे
आज तुमको बताने का क्या फ़ायदा

देख अपनी ही तस्वीर ऐसा लगा
जैसे कोई अजाना सा चेहरा मेरा
रंग बदलते रहे
संग चलते रहे
इसको दिल से लगाने का क्या फ़ायदा

दोस्तों का यूँ मिल जाना आसान है
कितना मुश्किल है दूरी बनाना मगर
अपनी कहते रहे
ज़ुल्म सहते रहे
आज पर्दा उठाने का क्या फ़ायदा

वास्ता उनसे जान-ओ-जिगर का भी था
जान देने की ख़्वाहिश तो उनकी भी थी
दूर जाते रहे
कसमसाते रहे
अस्ली मक़सद जताने का क्या फ़ायदा

कोई कितना भी समझाए हमको यहाँ
हम मुहब्बत के घावों को सीते नहीं
वो सताते रहे
दिल जलाते रहे
आज मरहम दिखाने का क्या फ़ायदा

ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है तो क्या
मौत के ही सहारे से जी लेंगे हम
वो बरसते रहे
हम तरसते रहे
ज़िक्र अपना चलाने का क्या फ़ायदा

अपने बीते हुए दिन न लौटें कभी
बीते लम्हे न आएँ कभी लौटकर
ये ही गाते रहे
गुनगुनाते रहे
याद उनको दिलाने का क्या फ़ायदा


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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