गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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इस शहर में अब कोई मरता नहीं | इस शहर में अब कोई मरता नहीं | ||
− | + | वो मरें भी कैसे जो ज़िन्दा नहीं | |
हो रहे नीलाम चौराहों पे रिश्ते | हो रहे नीलाम चौराहों पे रिश्ते | ||
− | + | क्या कहें कोई दोस्त शर्मिंदा नहीं | |
घूमता है हर कोई कपड़े उतारे | घूमता है हर कोई कपड़े उतारे | ||
− | + | शहर भर में अब कोई नंगा नहीं | |
कौन किसको भेजता है आज लानत | कौन किसको भेजता है आज लानत | ||
− | + | इस तरह का अब यहाँ मसला नहीं | |
हो गया है एक मज़हब 'सिर्फ़ पैसा' | हो गया है एक मज़हब 'सिर्फ़ पैसा' | ||
− | + | अब कहीं पर मज़हबी दंगा नहीं | |
मर गये, आज़ाद हमको कर गये वो | मर गये, आज़ाद हमको कर गये वो | ||
− | + | उनका महफ़िल में कहीं चर्चा नहीं | |
अब यहाँ खादी वही पहने हुए हैं | अब यहाँ खादी वही पहने हुए हैं | ||
− | + | जिनकी यादों में भी अब चरख़ा नहीं | |
इस शहर में अब कोई मरता नहीं | इस शहर में अब कोई मरता नहीं | ||
− | + | वो मरें भी कैसे जो ज़िन्दा नहीं | |
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06:26, 24 सितम्बर 2013 का अवतरण
इस शहर में -आदित्य चौधरी
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