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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>जश्न मनाया जाय <small>-आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>जश्न मनाया जाय <small>-आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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14:02, 27 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
![]() जश्न मनाया जाय -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बज़्म= सभा, महफ़िल
- ↑ ताकीद = कोई बात ज़ोर देकर कहना
- ↑ ग़ज़ल के आखरी शेर को जिसमें शायर का नाम अथवा उपनाम हो उसे ‘मक़्ता’ कहते हैं।