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| − |          पुराने ज़माने की बात है, एक गाँव से होकर एक व्यापारी सेठ की माल असबाब से लदी  | + |          पुराने ज़माने की बात है, एक गाँव से होकर एक व्यापारी सेठ की माल असबाब से लदी बैलगाड़ी गुज़र रही थी। रास्ते में बरसात के कारण गहरा गड्ढ़ा था जिसमें गाड़ी फंस गई। चार-चार आदमियों की काफ़ी कोशिश के बाद भी गाड़ी निकाली न जा सकी। पास ही एक दुकान के पट्टे पर छोटे पहलवान भी बैठा था और यह सब देख रहा था। दुकानदार ने सेठ जी से कहा- | 
| "सेठ जी आप छोटे पहलवान से अगर कह दें तो आपकी गाड़ी पार निकल जाएगी।" | "सेठ जी आप छोटे पहलवान से अगर कह दें तो आपकी गाड़ी पार निकल जाएगी।" | ||
| सेठ जी ने छोटे पहलवान से गाड़ी निकालने कहा। पहलवान ने चारों लोगों को हटा दिया और अकेले ही कंधे के सहारे से बड़े आसानी से गाड़ी को गड्ढ़े से निकाल दिया। | सेठ जी ने छोटे पहलवान से गाड़ी निकालने कहा। पहलवान ने चारों लोगों को हटा दिया और अकेले ही कंधे के सहारे से बड़े आसानी से गाड़ी को गड्ढ़े से निकाल दिया। | ||
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16:38, 21 मई 2017 के समय का अवतरण
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