गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"" to "class="table table-bordered table-striped"") |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>यहाँ बेकार में<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>यहाँ बेकार में<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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कल उसे मुर्ग़ा बनाया था, भरे दरबार में | कल उसे मुर्ग़ा बनाया था, भरे दरबार में | ||
आज बत्तीसी दिखाता चित्र है, अख़बार में | आज बत्तीसी दिखाता चित्र है, अख़बार में | ||
− | + | ज़ोर से दुम को हिलाना सीख लें, काम आएगी | |
− | + | ये कला बेजोड़ है, हर एक कारोबार में | |
नाक को भी काटकर रख लें, छुपाकर जेब में | नाक को भी काटकर रख लें, छुपाकर जेब में | ||
ज़िन्दगी का फ़लसफा है, नाक के आकार में | ज़िन्दगी का फ़लसफा है, नाक के आकार में | ||
− | + | रुक गया ट्रॅफ़िक, संभल के सांस को भी रोक लो | |
− | + | उनका कुत्ता सो रहा, लम्बी सी काली कार में | |
अब झुका लो गर्दनें वरना कटेंगी खच्च से | अब झुका लो गर्दनें वरना कटेंगी खच्च से | ||
बहुत सारे जोखिमों का रिस्क है दीदार में | बहुत सारे जोखिमों का रिस्क है दीदार में | ||
− | + | कौन से सपने सुनहरे देखते रहते हो तुम | |
− | + | अनगिनत हैं, जिनको चुनवाया गया दीवार में | |
जाने कब होगा सवेरा ? मौन क़ब्रस्तान का | जाने कब होगा सवेरा ? मौन क़ब्रस्तान का | ||
इस तरह की बात मत करना यहाँ बेकार में | इस तरह की बात मत करना यहाँ बेकार में | ||
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06:35, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
यहाँ बेकार में -आदित्य चौधरी
कल उसे मुर्ग़ा बनाया था, भरे दरबार में |