गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) ('{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;" |- | <noinclude>चित...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हर शख़्स मुझे बिन सुने<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हर शख़्स मुझे बिन सुने<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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− | + | ;एक गुमनाम किसान गजेन्द्र द्वारा, सरेआम फांसी लगा लेने पर... | |
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हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया | हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया | ||
तो दर्द दिखाने को मैं फांसी पे चढ़ गया | तो दर्द दिखाने को मैं फांसी पे चढ़ गया | ||
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जब बिक रहा हो झूठ हर इक दर पे सुब्ह शाम | जब बिक रहा हो झूठ हर इक दर पे सुब्ह शाम | ||
− | + | 'आदित्य' ये बुख़ार कैसा तुझपे चढ़ गया | |
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10:30, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
हर शख़्स मुझे बिन सुने -आदित्य चौधरी
हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया |