छो (१ अवतरण आयात किया गया)
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"
+
{| width="100%" class="table table-bordered table-striped"
 
|-
 
|-
 
|  
 
|  
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>कितना बेदर्द और तन्हा<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>कितना बेदर्द और तन्हा<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
{| width="100%" style="background:transparent"
+
<center>
|-valign="top"
+
<poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;">
| style="width:35%"|
+
| style="width:35%"|
+
<poem>
+
 
कितना बेदर्द और तन्हा है मुहब्बत का सफ़र
 
कितना बेदर्द और तन्हा है मुहब्बत का सफ़र
 
जिससे पूछो वही एक दर्द लिए बैठा है
 
जिससे पूछो वही एक दर्द लिए बैठा है
पंक्ति 25: पंक्ति 22:
 
इसकी पहचान बनाने को पिए बैठा है  
 
इसकी पहचान बनाने को पिए बैठा है  
 
</poem>
 
</poem>
| style="width:30%"|
+
</center>
|}
+
 
|}
 
|}
  

10:32, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

Copyright.png
कितना बेदर्द और तन्हा -आदित्य चौधरी

कितना बेदर्द और तन्हा है मुहब्बत का सफ़र
जिससे पूछो वही एक दर्द लिए बैठा है

एक इज़हार-ए-मुहब्बत ही न कर पाने को
किसी कोने में वो अफ़सोस किए बैठा है

मेरा महबूब, किसी रोज़ पलट कर आए
दिल को मासूम दिलासा सा दिए बैठा है

उसको आती हो मेरी याद कभी फ़ुर्सत में
ऐसी हसरत से दिल के घाव सिए बैठा है

कैसा बेज़ार है, तन्हा है, बेख़बर भी है
इसकी पहचान बनाने को पिए बैठा है


टीका टिप्पणी और संदर्भ


सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक