(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"
+
{| width="100%" class="table table-bordered table-striped"
 
|-
 
|-
 
|  
 
|  
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>मैं गुम हूँ<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>मैं गुम हूँ<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
{| width="100%" style="background:transparent"
+
<center>
|-valign="top"
+
<poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;">
| style="width:42%"|
+
| style="width:18%"|
+
<poem>
+
 
मैं गुम हूँ
 
मैं गुम हूँ
 
तो गुम हो
 
तो गुम हो
पंक्ति 41: पंक्ति 38:
 
तुम भी…  
 
तुम भी…  
 
</poem>
 
</poem>
| style="width:40%"|
+
</center>
|}
+
 
|}
 
|}
  

10:49, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

Copyright.png
मैं गुम हूँ -आदित्य चौधरी

मैं गुम हूँ
तो गुम हो
तुम भी

लेकिन मैं तुम में
और शायद
तुम और कहीं

मैं तो हूँ तुम में
क्या तुम भी?

कभी ख़याल
कभी सपना
तो कभी यूँ ही
इन्हीं के साथ
शामिल हो
मेरे ज़ेहन में
तुम ही

किसी और
शायर की ग़ज़ल
के मक़्ते में
तलाशते तुम नाम मेरा

ये कौन सी आवाज़
की कशिश तुम्हें खींचे है
दूर मुझसे…

अरे ब्रूटस!
तुम भी…


टीका टिप्पणी और संदर्भ


सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक