गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>ये सूरज रोज़ ढलते हैं<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>ये सूरज रोज़ ढलते हैं<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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जिन्हें मौक़ा नहीं मिलता यहाँ तक़्दीर से यारो। | जिन्हें मौक़ा नहीं मिलता यहाँ तक़्दीर से यारो। | ||
वही तद्बीर से आलम का इक दिन रुख़ बदलते हैं।। | वही तद्बीर से आलम का इक दिन रुख़ बदलते हैं।। | ||
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ये 'उनकी' है अजब फ़ितरत, फ़क़ीरी से भी जलते हैं।। | ये 'उनकी' है अजब फ़ितरत, फ़क़ीरी से भी जलते हैं।। | ||
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14:42, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
ये सूरज रोज़ ढलते हैं -आदित्य चौधरी
जिन्हें मौक़ा नहीं मिलता यहाँ तक़्दीर से यारो। |