गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो ("फ़र्क़ क्या होगा -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि))) |
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हुस्न औ इश्क़ के क़िस्से तो हज़ारों हैं मगर | हुस्न औ इश्क़ के क़िस्से तो हज़ारों हैं मगर | ||
उनको कहने या न कहने से फ़र्क़ क्या होगा | उनको कहने या न कहने से फ़र्क़ क्या होगा | ||
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समझ भी लूँ तो समझने से फ़र्क़ क्या होगा | समझ भी लूँ तो समझने से फ़र्क़ क्या होगा | ||
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08:14, 14 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
![]() फ़र्क़ क्या होगा -आदित्य चौधरी
हुस्न औ इश्क़ के क़िस्से तो हज़ारों हैं मगर |