गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {| width="100%" | + | {| width="100%" class="table table-bordered table-striped" |
|- | |- | ||
| | | | ||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>फूल जितने भी<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>फूल जितने भी<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
---- | ---- | ||
− | + | <center> | |
− | + | <poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;"> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
फूल जितने भी दिए, उनको सजाने के लिए | फूल जितने भी दिए, उनको सजाने के लिए | ||
बेच देते हैं वो, कुछ पैसा बनाने के लिए | बेच देते हैं वो, कुछ पैसा बनाने के लिए | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 22: | ||
वक़्त मुझको मिले फिर से ज़माने के लिए | वक़्त मुझको मिले फिर से ज़माने के लिए | ||
</poem> | </poem> | ||
− | + | </center> | |
− | + | ||
|} | |} | ||
08:18, 14 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
फूल जितने भी -आदित्य चौधरी
फूल जितने भी दिए, उनको सजाने के लिए |