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मेरी हस्ती को ही अब जड़ से मिटाया जाए
 
मेरी हस्ती को ही अब जड़ से मिटाया जाए
 
मरूँ या न मरूँ, मिट्टी में मिलाया जाए
 
मरूँ या न मरूँ, मिट्टी में मिलाया जाए
  
        इसी हसरत में कि पूछेगा, आख़री ख़्वाइश
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इसी हसरत में कि पूछेगा, आख़री ख़्वाइश
        बीच चौराहे पे फ़ांसी पे चढ़ाया जाए
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बीच चौराहे पे फ़ांसी पे चढ़ाया जाए
  
 
उनसे कह दो कि बुनियाद में हैं छेद बहुत
 
उनसे कह दो कि बुनियाद में हैं छेद बहुत
 
मेरे मरने से पहले उनको भराया जाए
 
मेरे मरने से पहले उनको भराया जाए
  
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क्या कहूँ किससे कहूँ बहरों की दुनियाँ है
        मुल्क की तस्वीर है क्या, किसको बताया जाए
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मुल्क की तस्वीर है क्या, किसको बताया जाए
  
 
मैं तो बदज़ात हूँ, शामिल न किया महफ़िल में
 
मैं तो बदज़ात हूँ, शामिल न किया महफ़िल में
 
नाम मुझको भी शरीफ़ों का बताया जाए
 
नाम मुझको भी शरीफ़ों का बताया जाए
  
        मसअले और भी हैं मेरी सरकशी के लिए
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मसअले और भी हैं मेरी सरकशी के लिए
        उनको तफ़्सील से ये रोज़ बताया जाए
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उनको तफ़्सील से ये रोज़ बताया जाए
  
 
ज़माना हो गया जब दफ़्न किया था ख़ुद को
 
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मैं तो हैरान हूँ, क्यों मुझको जलाया जाय
 
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07:27, 16 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

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मिट्टी में मिलाया जाए -आदित्य चौधरी

मेरी हस्ती को ही अब जड़ से मिटाया जाए
मरूँ या न मरूँ, मिट्टी में मिलाया जाए

इसी हसरत में कि पूछेगा, आख़री ख़्वाइश
बीच चौराहे पे फ़ांसी पे चढ़ाया जाए

उनसे कह दो कि बुनियाद में हैं छेद बहुत
मेरे मरने से पहले उनको भराया जाए

क्या कहूँ किससे कहूँ बहरों की दुनियाँ है
मुल्क की तस्वीर है क्या, किसको बताया जाए

मैं तो बदज़ात हूँ, शामिल न किया महफ़िल में
नाम मुझको भी शरीफ़ों का बताया जाए

मसअले और भी हैं मेरी सरकशी के लिए
उनको तफ़्सील से ये रोज़ बताया जाए

ज़माना हो गया जब दफ़्न किया था ख़ुद को
मैं तो हैरान हूँ, क्यों मुझको जलाया जाय


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