गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हँस के रो गए<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हँस के रो गए<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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मसरूफ़ अपनी ज़िन्दगी में इतने हो गए | मसरूफ़ अपनी ज़िन्दगी में इतने हो गए | ||
सब मुफ़लिसी के यार, शोहरतों में खो गए | सब मुफ़लिसी के यार, शोहरतों में खो गए | ||
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जो यार ज़िन्दगी के थे, अब दोस्त हो गए | जो यार ज़िन्दगी के थे, अब दोस्त हो गए | ||
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08:25, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
हँस के रो गए -आदित्य चौधरी
मसरूफ़ अपनी ज़िन्दगी में इतने हो गए |