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बस कुछ नहीं कहा
 
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अब कुछ नहीं रहा
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चल ये भी इक सहा  
 
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08:26, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

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कुछ नहीं कहा -आदित्य चौधरी

बस कुछ नहीं कहा
अब कुछ नहीं रहा

     आँसू जो कम पड़ें तो
     ले ख़ून से नहा

अरसे से रुका दरिया
इस मोड़ पर बहा

     सपने में घर बनाया
     सपने में ही ढहा

यारी ग़मों से अपनी
चल ये भी इक सहा



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