छो (१ अवतरण आयात किया गया)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"
+
{| width="100%" class="table table-bordered table-striped"
 
|-
 
|-
 
|  
 
|  
 
<noinclude>[[चित्र:Copyright.png|50px|right|link=|]]</noinclude>
 
<noinclude>[[चित्र:Copyright.png|50px|right|link=|]]</noinclude>
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>ये मुश्किल बात होती है<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
+
<div style="text-align:center;"><font color=#003333 size=5>ये मुश्किल बात होती है<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
{| width="100%" style="background:transparent"
+
<center>
|-valign="top"
+
<poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;">
| style="width:30%"|
+
| style="width:40%"|
+
<poem style="color=#003333">
+
 
सुबह के आगमन से पहले काली रात होती है
 
सुबह के आगमन से पहले काली रात होती है
 
इसे तुझको समझना है, ये मुश्किल बात होती है
 
इसे तुझको समझना है, ये मुश्किल बात होती है
  
          तेरी हर हार में जीतों के नक़्शे बनते जाते हैं
+
तेरी हर हार में जीतों के नक़्शे बनते जाते हैं
          नई राहों को चुन लेना, ये मुश्किल बात होती है
+
नई राहों को चुन लेना, ये मुश्किल बात होती है
  
 
हर इक सैलाब की सबको डुबो देने की फ़ितरत है
 
हर इक सैलाब की सबको डुबो देने की फ़ितरत है
 
तुझे इससे गुज़रना है, ये मुश्किल बात होती है
 
तुझे इससे गुज़रना है, ये मुश्किल बात होती है
  
          कोई क्योंकर तुझे पूछे, तेरी औक़ात ही क्या है
+
कोई क्योंकर तुझे पूछे, तेरी औक़ात ही क्या है
          नया कुछ कर दिखा जाना, ये मुश्किल बात होती है
+
नया कुछ कर दिखा जाना, ये मुश्किल बात होती है
  
 
ज़माना आख़री दम तक तुझे बाँधेगा बंधन में
 
ज़माना आख़री दम तक तुझे बाँधेगा बंधन में
 
नहीं थमना, नहीं झुकना, ये मुश्किल बात होती है  
 
नहीं थमना, नहीं झुकना, ये मुश्किल बात होती है  
 
</poem>
 
</poem>
| style="width:30%"|
+
</center>
|}
+
 
|}
 
|}
 
<br />
 
<br />

08:27, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

Copyright.png
ये मुश्किल बात होती है -आदित्य चौधरी

सुबह के आगमन से पहले काली रात होती है
इसे तुझको समझना है, ये मुश्किल बात होती है

तेरी हर हार में जीतों के नक़्शे बनते जाते हैं
नई राहों को चुन लेना, ये मुश्किल बात होती है

हर इक सैलाब की सबको डुबो देने की फ़ितरत है
तुझे इससे गुज़रना है, ये मुश्किल बात होती है

कोई क्योंकर तुझे पूछे, तेरी औक़ात ही क्या है
नया कुछ कर दिखा जाना, ये मुश्किल बात होती है

ज़माना आख़री दम तक तुझे बाँधेगा बंधन में
नहीं थमना, नहीं झुकना, ये मुश्किल बात होती है


सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक