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09:32, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

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आँखों का पानी -आदित्य चौधरी

कभी तू है बादल
कभी तू है सागर
कहीं बनके तालाब पसरा पड़ा है

कभी तू है बरखा
कभी तू है नदिया
कहीं पर तू झीलों में अलसा रहा है

मगर तेरी ज़्यादा
ज़रूरत जहाँ है
उसे सबने अाँखों का पानी कहा है



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