छो (१ अवतरण आयात किया गया)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"
+
{| width="100%" class="table table-bordered table-striped"
 
|-
 
|-
 
|  
 
|  
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>ये दास्तान कुछ ऐसी है<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>ये दास्तान कुछ ऐसी है<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
{| width="100%" style="background:transparent"
+
<center>
|-valign="top"
+
<poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;">
| style="width:35%"|
+
| style="width:35%"|
+
<poem style="color=#003333">
+
 
जीने के लिए सदक़े कम थे <ref>सदक़ा = न्यौछावर, दान</ref>
 
जीने के लिए सदक़े कम थे <ref>सदक़ा = न्यौछावर, दान</ref>
 
मरने के लिए लम्हे कम थे 
 
मरने के लिए लम्हे कम थे 
पंक्ति 31: पंक्ति 28:
 
अर्थी के लिए कांधे कम थे
 
अर्थी के लिए कांधे कम थे
 
</poem>
 
</poem>
| style="width:30%"|
+
</center>
|}
+
 
|}
 
|}
  
पंक्ति 46: पंक्ति 42:
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

10:27, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

Copyright.png
ये दास्तान कुछ ऐसी है -आदित्य चौधरी

जीने के लिए सदक़े कम थे [1]
मरने के लिए लम्हे कम थे 

चाहत का भरोसा कौन करे
रिश्ते के लिए वादे कम थे

ये दास्तान ही ऐसी है
सुनने के लिए राज़ी कम थे

मयख़ाने में रिंदों से कहा [2]
पीने वाले समझे कम थे

कहना लिख कर भी चाहा तो
लिखने के लिए काग़ज़ कम थे

जब आँख अचानक भर आई
रोने के लिए कोने कम थे

अब सुकूं आख़री ढूंढ लिया
अर्थी के लिए कांधे कम थे



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सदक़ा = न्यौछावर, दान
  2. रिंद = शराबी

सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक