गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो ("इस शहर में -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि))) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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इस शहर में अब कोई मरता नहीं | इस शहर में अब कोई मरता नहीं | ||
− | + | वो मरें भी कैसे जो ज़िन्दा नहीं | |
हो रहे नीलाम चौराहों पे रिश्ते | हो रहे नीलाम चौराहों पे रिश्ते | ||
− | + | क्या कहें कोई दोस्त शर्मिंदा नहीं | |
घूमता है हर कोई कपड़े उतारे | घूमता है हर कोई कपड़े उतारे | ||
− | + | शहर भर में अब कोई नंगा नहीं | |
कौन किसको भेजता है आज लानत | कौन किसको भेजता है आज लानत | ||
− | + | इस तरह का अब यहाँ मसला नहीं | |
हो गया है एक मज़हब 'सिर्फ़ पैसा' | हो गया है एक मज़हब 'सिर्फ़ पैसा' | ||
− | + | अब कहीं पर मज़हबी दंगा नहीं | |
मर गये, आज़ाद हमको कर गये वो | मर गये, आज़ाद हमको कर गये वो | ||
− | + | उनका महफ़िल में कहीं चर्चा नहीं | |
अब यहाँ खादी वही पहने हुए हैं | अब यहाँ खादी वही पहने हुए हैं | ||
− | + | जिनकी यादों में भी अब चरख़ा नहीं | |
इस शहर में अब कोई मरता नहीं | इस शहर में अब कोई मरता नहीं | ||
− | + | वो मरें भी कैसे जो ज़िन्दा नहीं | |
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10:31, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
इस शहर में -आदित्य चौधरी
इस शहर में अब कोई मरता नहीं |