गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) ('{| width="100%" class="headbg37" style="border:thin groove #003333; margin-left:5px; border-radius:5px; padding:10px;" |- | [[चित...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
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− | एक भव्य इमारत पर लगे साइन बोर्ड ने मुझे | + | एक भव्य इमारत पर लगे साइन बोर्ड ने मुझे चौंका दिया। |
− | सेठ | + | सेठ ऐरामल गैरादास इंस्टीट्यूट ऑफ़ ऍम॰पी॰ ऍन्ड ऍम॰ऍल॰ए॰ |
− | "100 परसेन्ट सॅटिसफ़ॅक्शन 100 परसेन्ट प्लेसमेन्ट" | + | "100 परसेन्ट सॅटिसफ़ॅक्शन,100 परसेन्ट प्लेसमेन्ट" |
प्रधानाचार्य: डा॰ सिद्ध प्रसाद सिंह | प्रधानाचार्य: डा॰ सिद्ध प्रसाद सिंह | ||
− | "जैसे कि ग़ुण्डे-बदमाश, बलात्कारी, उचक्के, तस्कर आदि.... ये सभी समाज के सताए हुए लोग हैं और इनमें से कुछ आतंकवादी भी बन जाते हैं। हम इन्हें आतंकवादी बनने से रोकते हैं और समझाते हैं पूरी ट्रेनिंग देते | + | "जैसे कि ग़ुण्डे-बदमाश, बलात्कारी, उचक्के, तस्कर आदि.... ये सभी समाज के सताए हुए लोग हैं और इनमें से कुछ आतंकवादी भी बन जाते हैं। हम इन्हें आतंकवादी बनने से रोकते हैं और समझाते हैं, पूरी ट्रेनिंग देते हैं। अरे साब! जब ऐसे बच्चे आसानी से सांसद-विधायक बन सकते हैं तो उनको आतंकवादी बनने की क्या ज़रूरत है? भई इनको अपना शौक़ ही तो पूरा करना है वो तो सदन में भी हो सकता है। इसके लिए आतंकवादी बन कर जान का जोखिम क्यों उठाना?" |
मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी और कॉलेज के प्रधानाचार्य बड़े प्रेम भाव से अपने कॉलेज की उपलब्धियों को गिनाने में लगे थे। उन्होंने आगे बताया- "हम देश के लिए सांसद और विधायक तैयार करते हैं। हमारे देश के हर एक नागरिक में एक सांसद या विधायक छुपा बैठा है बस उस को बाहर निकालना है, जो कि हम करते हैं। हम देश को सुधारने का काम कर रहे हैं, समाज को सुधार रहे हैं।" | मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी और कॉलेज के प्रधानाचार्य बड़े प्रेम भाव से अपने कॉलेज की उपलब्धियों को गिनाने में लगे थे। उन्होंने आगे बताया- "हम देश के लिए सांसद और विधायक तैयार करते हैं। हमारे देश के हर एक नागरिक में एक सांसद या विधायक छुपा बैठा है बस उस को बाहर निकालना है, जो कि हम करते हैं। हम देश को सुधारने का काम कर रहे हैं, समाज को सुधार रहे हैं।" | ||
"किस तरह?" मैंने पूछा। | "किस तरह?" मैंने पूछा। | ||
− | "देखिए साब! हम समाज में रहने वाले उन नौजवानों को यहाँ ऍडमीशन नहीं देते जो पढ़ाई में अच्छे और व्यवहार में सभ्य हैं। हम उन दबे कुचले और समाज से बेदख़ल किए हुए नौजवानों को लेते हैं जिन्हें समाज पसंद नहीं करता।" इतना कहकर उन्होंने एक फ़ोटो मुझे दिखाया- | + | "देखिए साब! हम समाज में रहने वाले उन नौजवानों को यहाँ ऍडमीशन नहीं देते जो पढ़ाई में अच्छे और व्यवहार में सभ्य हैं। हम उन दबे, कुचले और समाज से बेदख़ल किए हुए नौजवानों को लेते हैं जिन्हें समाज पसंद नहीं करता।" इतना कहकर उन्होंने एक फ़ोटो मुझे दिखाया- |
− | "देखा ? देखा आपने ये हैं मशहूर स्टार 'मनी लेओ न' उन्होंने भी हमारे यहाँ ऍडमीशन के लिए ऍप्लाई किया है। आपको तो पता ही है कि वे कितनी बड़ी पॉर्न स्टार हैं। गूगल सर्च में उनकी रॅन्किग के बारे में आपको पता ही होगा। आने वाले कल में वो सांसद बनेगी और घर-घर में बहू बेटियों को पॉर्न स्टार बनने की प्रेरणा मिलेगी।" | + | "देखा ? देखा आपने, ये हैं मशहूर स्टार 'मनी लेओ न' उन्होंने भी हमारे यहाँ ऍडमीशन के लिए ऍप्लाई किया है। आपको तो पता ही है कि वे कितनी बड़ी पॉर्न स्टार हैं। गूगल सर्च में उनकी रॅन्किग के बारे में आपको पता ही होगा। आने वाले कल में वो सांसद बनेगी और घर-घर में बहू बेटियों को पॉर्न स्टार बनने की प्रेरणा मिलेगी।" |
वो बोलते-बोलते थोड़ी देर रुका फिर मेरी ओर ग़ौर से देखकर बोला- | वो बोलते-बोलते थोड़ी देर रुका फिर मेरी ओर ग़ौर से देखकर बोला- | ||
"ओहोऽऽऽ? लगता है आपको हमें अपने कॉलेज की क्लासेज़ दिखानी होंगी तभी आपको विश्वास होगा... आइए चलते हैं..." | "ओहोऽऽऽ? लगता है आपको हमें अपने कॉलेज की क्लासेज़ दिखानी होंगी तभी आपको विश्वास होगा... आइए चलते हैं..." | ||
हम दोनों एक कक्षा में जा पहुँचे वहाँ एक अध्यापक छात्रों को पढ़ा रहा था। | हम दोनों एक कक्षा में जा पहुँचे वहाँ एक अध्यापक छात्रों को पढ़ा रहा था। | ||
"चुल्लू भर पानी में डूब मरो... ये असंसदीय है... सदन में आप असंसदीय शब्दों और वाक्यों का प्रयोग नहीं कर पाएँगे तो आपको वहाँ बोलना है कि 'कटोरी भर पानी में डुबकी ले कर प्राण त्याग दो' इस तरह आपने अपनी बात भी कह दी और आप असंसदीय भाषा बोलने से भी बच गए। असंसदीय शब्दों में अनेक मुहावरे आते हैं जैसे 'भैंस के आगे बीन बजाना' आप चाहें तो कह सकते हैं कि 'भैंसे की पत्नी के आगे संगीत कार्यक्रम करना'।" | "चुल्लू भर पानी में डूब मरो... ये असंसदीय है... सदन में आप असंसदीय शब्दों और वाक्यों का प्रयोग नहीं कर पाएँगे तो आपको वहाँ बोलना है कि 'कटोरी भर पानी में डुबकी ले कर प्राण त्याग दो' इस तरह आपने अपनी बात भी कह दी और आप असंसदीय भाषा बोलने से भी बच गए। असंसदीय शब्दों में अनेक मुहावरे आते हैं जैसे 'भैंस के आगे बीन बजाना' आप चाहें तो कह सकते हैं कि 'भैंसे की पत्नी के आगे संगीत कार्यक्रम करना'।" | ||
− | प्रधानाचार्य मेरे प्रभावित होने की सीमा को बार-बार कुछ ऐसी दृष्टि से जांच रहे थे जैसे कि डॉक्टर थर्मोमीटर से बुख़ार और रक्तचाप यंत्र से रक्तचाप का निरीक्षण करते हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मन ही मन कह रहे थे कि अच्छा अभी पूरी तरह प्रभावित होने में समय है कुछ और दिखाता हूँ। | + | प्रधानाचार्य मेरे प्रभावित होने की सीमा को बार-बार कुछ ऐसी दृष्टि से जांच रहे थे जैसे कि डॉक्टर थर्मोमीटर से बुख़ार और रक्तचाप यंत्र से रक्तचाप का निरीक्षण करते हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मन ही मन कह रहे थे कि अच्छा अभी पूरी तरह प्रभावित होने में समय है, कुछ और दिखाता हूँ। |
"आइए आपको सॅल्फ़ डिफ़ेंस डिपार्टमेंट की तरफ़ ले चलूँ।" प्रधानाचार्य आत्मविश्वास से बोले। | "आइए आपको सॅल्फ़ डिफ़ेंस डिपार्टमेंट की तरफ़ ले चलूँ।" प्रधानाचार्य आत्मविश्वास से बोले। | ||
हम वहाँ भी पहुँचे। वहाँ का नज़ारा ब्रूस ली और जॅकी चॅन की फ़िल्मों जैसा था। | हम वहाँ भी पहुँचे। वहाँ का नज़ारा ब्रूस ली और जॅकी चॅन की फ़िल्मों जैसा था। | ||
प्रधानाचार्य मुझे उस हॉल में एक तरफ़ बने बॉक्सिंग रिंग के पास ले गए और बोले- | प्रधानाचार्य मुझे उस हॉल में एक तरफ़ बने बॉक्सिंग रिंग के पास ले गए और बोले- | ||
− | "अगले दो महीने बाद ही चुनाव | + | "अगले दो महीने बाद ही चुनाव हैं, ये हैं श्री प्रचंड पहाड़ी इन्हें सब प्यार से 'गब्बर भैया' कहते है। विधायक का टिकिट मिला है। इंटॅसिव कोर्स करने आए हैं। जूडो-कराटे सीख लिया है, बॉक्सिंग सीख रहे हैं। सही बात तो ये है कि इन्होंने हमारे कॉलेज के स्ट्यूडेन्ट्स को कई नई चीज़ें सिखाई हैं जैसे तेज़ाब का गुब्बारा फेंकना, बॉटल बम वग़ैरहा वग़ैरहा... |
मुझसे न रहा गया मैंने पूछा "तो क्या बॉटल बम आप पहले से नहीं जानते थे?" | मुझसे न रहा गया मैंने पूछा "तो क्या बॉटल बम आप पहले से नहीं जानते थे?" | ||
"अरे जानते थे और सिखाते भी थे लेकिन गब्बर भैया की टॅक्नीक ज़्यादा इफ़ेक्टिव है..." प्रधानाचार्य ने गब्बर की तरफ़ हँसते हुए कहा फिर अचानक संजीदा होकर बोले "चलिए अभी तो बहुत कुछ देखना है... आइए चलें" | "अरे जानते थे और सिखाते भी थे लेकिन गब्बर भैया की टॅक्नीक ज़्यादा इफ़ेक्टिव है..." प्रधानाचार्य ने गब्बर की तरफ़ हँसते हुए कहा फिर अचानक संजीदा होकर बोले "चलिए अभी तो बहुत कुछ देखना है... आइए चलें" | ||
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"सदन में नहीं जाएगा तो सदन वाले तो बाहर आएँगे... आप ये सब छोड़िए... सदन में क्या जाता है या क्या नहीं ये आप हमारे ऊपर छोड़िए।" | "सदन में नहीं जाएगा तो सदन वाले तो बाहर आएँगे... आप ये सब छोड़िए... सदन में क्या जाता है या क्या नहीं ये आप हमारे ऊपर छोड़िए।" | ||
हम हॉल के दूसरी ओर पहुँचे। प्रधानाचार्य जी ताजमहल के गाइड की तरह रटी-रटाई कमेंट्री सी देने लगे- | हम हॉल के दूसरी ओर पहुँचे। प्रधानाचार्य जी ताजमहल के गाइड की तरह रटी-रटाई कमेंट्री सी देने लगे- | ||
− | "ये देखिए यहाँ हम अपने भावी सांसद और विधायकों को यह सिखाते हैं कि किसी भी चीज़ को हथियार की तरह कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। आपने जॅकी चॅन की फ़िल्में देखी ही | + | "ये देखिए, यहाँ हम अपने भावी सांसद और विधायकों को यह सिखाते हैं कि किसी भी चीज़ को हथियार की तरह कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। आपने जॅकी चॅन की फ़िल्में देखी ही होंगी। जॅकी चॅन ने अपनी फ़िल्मों में हमें सिखाया कि आपके आस-पास जो कुछ भी है उसे ही हथियार बनाइए और हमला कर दीजिए।" वे थोड़ा रुके और अपने मक्कार चेहरे पर चिंता का भाव लाकर मुझसे उस 'स्टाइल' में बोले जिसका इस्तेमाल पुलिस वाले किसी अपराधी को सरकारी गवाह बनाने में इस्तेमाल करते हैं।- |
"बात ये है भाई साब! कि सदन में तो मुहँ उठाकर हर कोई पहुँच जाता है लेकिन सदन में जाने के बाद कुछ करना भी तो होता है, ये क्या कि हर बात पर माइक उखाड़ लिया...? अब आप बताइए कि कल को सरकार ने माइक ऐसे बना दिए कि जो उखड़ें ही नहीं तो ?... फिर क्या करेंगे... क्या उखाड़ेंगे... बस इसीलिए हम यहाँ उनको ट्रेनिंग देते हैं।" | "बात ये है भाई साब! कि सदन में तो मुहँ उठाकर हर कोई पहुँच जाता है लेकिन सदन में जाने के बाद कुछ करना भी तो होता है, ये क्या कि हर बात पर माइक उखाड़ लिया...? अब आप बताइए कि कल को सरकार ने माइक ऐसे बना दिए कि जो उखड़ें ही नहीं तो ?... फिर क्या करेंगे... क्या उखाड़ेंगे... बस इसीलिए हम यहाँ उनको ट्रेनिंग देते हैं।" | ||
"ज़रा एक बात और बताइए कि हन्ड्रेड परसेन्ट सॅटिसफ़ॅक्शन तो ठीक है पर हन्ड्रेड परसेन्ट प्लेसमेन्ट का क्या चक्कर है?" | "ज़रा एक बात और बताइए कि हन्ड्रेड परसेन्ट सॅटिसफ़ॅक्शन तो ठीक है पर हन्ड्रेड परसेन्ट प्लेसमेन्ट का क्या चक्कर है?" | ||
"बात ये है सर! कि आजकल पार्टियाँ इतनी हो गई हैं कि हर कोई चुनाव लड़ सकता है, जिसे चाहिए टिकिट ले सकता है और हमारी सिफ़ारिश से तो टिकिट मिल ही जाती है।" प्रधानाचार्य के बताने से ऐसा लग रहा था जैसे सिनेमाघर में आई किसी नई फ़िल्म की टिकिट दिलाने की बात हो रही हो। | "बात ये है सर! कि आजकल पार्टियाँ इतनी हो गई हैं कि हर कोई चुनाव लड़ सकता है, जिसे चाहिए टिकिट ले सकता है और हमारी सिफ़ारिश से तो टिकिट मिल ही जाती है।" प्रधानाचार्य के बताने से ऐसा लग रहा था जैसे सिनेमाघर में आई किसी नई फ़िल्म की टिकिट दिलाने की बात हो रही हो। | ||
− | आइए अब अद्भुत शिक्षा संस्था को | + | आइए अब अद्भुत शिक्षा संस्था को छोड़ कर भारतकोश पर चलें- |
− | ऐसा माना जाता है कि भारत में प्रजातंत्र है। मैंने 'माना जाता है' इसलिए लिखा है क्योंकि मुझे यह मानने में थोड़ी ही नहीं, बहुत अड़चन है। इसका सबसे मुख्य कारण है कि अपना प्रतिनिधि चुनने वाले सभी मतदाताओं को जब तक यह पता न हो कि वे किसे और क्यों चुन रहे हैं, तब तक प्रजातंत्र का कोई अर्थ है भी... यह मेरी समझ से बाहर है। प्रजातंत्र की शुरुआत कहाँ कब कैसे हुई इस बहस में पड़ना मेरा उद्देश्य नहीं है बल्कि प्रजातंत्र का स्वरूप भारत में कैसा है, यह बात चर्चा का विषय है। पहले यह देखें कि प्रजातंत्र के बारे में कौन क्या कहते- | + | ऐसा माना जाता है कि भारत में प्रजातंत्र है। मैंने 'माना जाता है' इसलिए लिखा है क्योंकि मुझे यह मानने में थोड़ी ही नहीं, बहुत अड़चन है। इसका सबसे मुख्य कारण है कि अपना प्रतिनिधि चुनने वाले सभी मतदाताओं को जब तक यह पता न हो कि वे किसे और क्यों चुन रहे हैं, तब तक प्रजातंत्र का कोई अर्थ है भी... यह मेरी समझ से बाहर है। प्रजातंत्र की शुरुआत कहाँ, कब, कैसे हुई, इस बहस में पड़ना मेरा उद्देश्य नहीं है बल्कि प्रजातंत्र का स्वरूप भारत में कैसा है, यह बात चर्चा का विषय है। पहले यह देखें कि प्रजातंत्र के बारे में कौन क्या कहते- |
"नि:सन्देह सशक्त सरकार और राजभक्त जनता से उत्कृष्ट राज्य का निर्माण होता है, परन्तु बहरी सरकार और गूँगे लोगों से लोकतंत्र का निर्माण नहीं होता।" -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य | "नि:सन्देह सशक्त सरकार और राजभक्त जनता से उत्कृष्ट राज्य का निर्माण होता है, परन्तु बहरी सरकार और गूँगे लोगों से लोकतंत्र का निर्माण नहीं होता।" -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य | ||
− | "जनतंत्र सदैव ही संकेत से बुलाने वाली | + | "जनतंत्र सदैव ही संकेत से बुलाने वाली मंज़िल है, कोई सुरक्षित बंदरगाह नहीं। कारण यह है कि स्वतंत्रता एक सतत् प्रयास है, कभी भी अंतिम उपलब्धि नहीं।" -फ़ेलिक्स फ्रॅन्क फ़र्टर |
"जनता के लिए सबसे अधिक शोर मचाने वालों को, उसके कल्याण के लिए सबसे उत्सुक मान लेना, सर्वमान्य प्रचलित त्रुटि है।" -एडमंड बर्क | "जनता के लिए सबसे अधिक शोर मचाने वालों को, उसके कल्याण के लिए सबसे उत्सुक मान लेना, सर्वमान्य प्रचलित त्रुटि है।" -एडमंड बर्क | ||
− | ऊपर दिए गए तीनों कथन, तीन बातें स्पष्ट करते है। पहली तो यह कि मतदाता पढ़ा-लिखा और जागरूक हो, तभी अच्छी लोकतांत्रिक सरकार मिल सकती है। दूसरी यह कि किसी देश लोकतांत्रिक प्रणाली में रहकर यदि उसकी जनता को परतंत्रता का अहसास रहता है तो वहाँ जनतंत्र अपनी गुणवत्ता खो चुका है। तीसरी यह कि प्रोपेगॅन्डा की राजनीति से बने प्रतिनिधि देश के लिए हितकारी नहीं हैं। सोचने वाली बात यह है कि ऊपर की तीनों बातें ही हमारे देश की परिस्थितियों पर खरी उतर रही हैं। मतदाता योग्य नहीं है, जनता को आज भी ऐसा लगता है जैसे कि अंग्रेज़ गए नहीं और प्रपंच और वितंडा को आधार बनाकर बने नेता हमारे सामने हैं। | + | ऊपर दिए गए तीनों कथन, तीन बातें स्पष्ट करते है। पहली तो यह कि मतदाता पढ़ा-लिखा और जागरूक हो, तभी अच्छी लोकतांत्रिक सरकार मिल सकती है। दूसरी यह कि किसी देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में रहकर यदि उसकी जनता को परतंत्रता का अहसास रहता है तो वहाँ जनतंत्र अपनी गुणवत्ता खो चुका है। तीसरी यह कि प्रोपेगॅन्डा की राजनीति से बने प्रतिनिधि देश के लिए हितकारी नहीं हैं। सोचने वाली बात यह है कि ऊपर की तीनों बातें ही हमारे देश की परिस्थितियों पर खरी उतर रही हैं। मतदाता योग्य नहीं है, जनता को आज भी ऐसा लगता है जैसे कि अंग्रेज़ गए नहीं और प्रपंच और वितंडा को आधार बनाकर बने नेता हमारे सामने हैं। |
− | जिस जनतांत्रिक देश | + | जिस जनतांत्रिक देश के चुनाव में चुनाव-चिह्न का प्रयोग होता हो वहाँ लोकतंत्र का क्या अर्थ है। लगभग प्रत्येक राज्य में दो से अधिक पार्टियाँ हों, जाति और धर्म के आधार पर उम्मीदवारी सुनिश्चित की जाती हो, सामूहिक के बजाय व्यक्तिगत मुद्दे चुनावी मुद्दे बनते हों, चुनाव से पहले, फ़ौरी तौर पर नए मुद्दे गढ़े जाते हों और सरकार लम्बे अर्से से गठबंधन की मोहताज हो गई हो तो वहाँ जनहितकारी जनतंत्र की उम्मीद करना बहुत कठिन है। |
इस बार इतना ही... अगली बार कुछ और... | इस बार इतना ही... अगली बार कुछ और... |
13:08, 1 मार्च 2014 का अवतरण
असंसदीय संसद -आदित्य चौधरी एक भव्य इमारत पर लगे साइन बोर्ड ने मुझे चौंका दिया। |