(कोई अंतर नहीं)
|
17:35, 16 मई 2015 का अवतरण
|
जश्न मनाया जाय -आदित्य चौधरी
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बज़्म= सभा, महफ़िल
- ↑ ताकीद = कोई बात ज़ोर देकर कहना
- ↑ ग़ज़ल के आखरी शेर को जिसमें शायर का नाम अथवा उपनाम हो उसे ‘मक़्ता’ कहते हैं।
(कोई अंतर नहीं)
|
|
जश्न मनाया जाय -आदित्य चौधरी
|