छो (१ अवतरण आयात किया गया)
छो (Text replacement - "__INDEX__" to "__INDEX__ __NOTOC__")
पंक्ति 47: पंक्ति 47:
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

00:15, 26 अक्टूबर 2016 का अवतरण

Copyright.png
जीवन संगिनी -आदित्य चौधरी

क़ीमत चुकाई, तो मालूम होगा
जो यूँ ही मिला है, फ़रिश्ता हो शायद

तुम पर ख़ुदा की मेहरबानियाँ हैं
ये जलवा उसी का करिश्मा हो शायद

जिसे तुम मुहब्बत को तरसा रहे हो
वो ख़ुद को ख़ुशी से सताता हो शायद

हरदम कसौटी पे क्यूँ कस रहे हो
कहीं तुम जो पीतल, वो सोना हो शायद

तुम अपने मंदिर के भगवान होगे
वो विस्तार अपना छुपाता हो शायद

उसे सारी दुनिया दिखा दो तो क्या है
तुम्हें आइना वो दिखाता हो शायद

ये दुनिया तुम्हारी औ तुम इसके सूरज
तुम्हें रात को वो सुलाता हो शायद

-आदित्य चौधरी


सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक