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<h2 style="text-align:center">इक सपना बना लेते -आदित्य चौधरी</h2>
 
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07:18, 26 अक्टूबर 2016 का अवतरण

इक सपना बना लेते -आदित्य चौधरी

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इक सपना बना लेते -आदित्य चौधरी

ज़रा सी आँख लग जाती तो इक सपना बना लेते
ज़माना राहतें देता, तुझे अपना बना लेते

          तुझे सुनने की चाहत है, हमें कहना नहीं आता
          जो ऐसी क़ुव्वतें होतीं, शहर अपना बना लेते

जहाँ जिससे भी मिलना हो, नज़र बस तू ही आता है
सनम! हालात में ऐसे, किसे अपना बना लेते

          ये दुनिया ख़ूबसूरत है, बस इक तेरी ज़रूरत है
          जिसे भी चाहता हो तू उसे अपना बना लेते

तमन्नाओं के दरवाज़ों से आके देख ले मंज़र
तेरी आमद जो हो जाती तो घर अपना बना लेते



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