गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
---- | ---- | ||
;एक गुमनाम किसान गजेन्द्र द्वारा, सरेआम फांसी लगा लेने पर... | ;एक गुमनाम किसान गजेन्द्र द्वारा, सरेआम फांसी लगा लेने पर... | ||
− | <poem style="text-align: | + | <center> |
+ | <poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;"> | ||
हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया | हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया | ||
तो दर्द दिखाने को मैं फांसी पे चढ़ गया | तो दर्द दिखाने को मैं फांसी पे चढ़ गया | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 23: | ||
'आदित्य' ये बुख़ार कैसा तुझपे चढ़ गया | 'आदित्य' ये बुख़ार कैसा तुझपे चढ़ गया | ||
</poem> | </poem> | ||
+ | </center> | ||
|} | |} | ||
10:30, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
हर शख़्स मुझे बिन सुने -आदित्य चौधरी
हर शख़्स मुझे बिन सुने आगे जो बढ़ गया |