छो (Text replacement - "style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"" to "class="table table-bordered table-striped"")
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>दिलों के टूट जाने की<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>दिलों के टूट जाने की<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
{| width="100%" style="background:transparent"
+
<center>
|-valign="top"
+
<poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;">
| style="width:35%"|
+
| style="width:35%"|
+
<poem>
+
 
नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की
 
नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की
 
ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की
 
ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की
पंक्ति 25: पंक्ति 22:
 
तुम्हें बेचैनियां रहती हैं अब सारे ज़माने की  
 
तुम्हें बेचैनियां रहती हैं अब सारे ज़माने की  
 
</poem>
 
</poem>
| style="width:30%"|
+
</center>
|}
+
 
|}
 
|}
  

14:17, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

Copyright.png
दिलों के टूट जाने की -आदित्य चौधरी

नहीं आवाज़ होती है, दिलों के टूट जाने की
ज़रूरत क्या है फिर तुमको, इसे सुनने-सुनाने की

मेरे तन्हाई के आलम में सारे ख़ाब फीके थे
तुम्हारी ज़िद थी फिर इनको, बहारों से सजाने की

जो मैं था वो तो रहने ही कहाँ तुमने दिया मुझको
जो मैं अब हो गया तुम सा, तो ज़िद है छोड़ जाने की

मैं ख़ुश कितना हूँ ये तुमको बताने के लिए आया
तुम्हें फ़ुर्सत कहाँ नाचीज़ को दिल से लगाने की

हज़ारों ख़्वाइशों को छोड़ के तुमको ही चाहा था
तुम्हें बेचैनियां रहती हैं अब सारे ज़माने की


सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक