गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>तख़्त बनते हैं<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>तख़्त बनते हैं<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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तेरे ताबूत की कीलों से उनके तख़्त बनते हैं | तेरे ताबूत की कीलों से उनके तख़्त बनते हैं | ||
कुचल जा जाके सड़कों पे, तभी वो बात सुनते हैं | कुचल जा जाके सड़कों पे, तभी वो बात सुनते हैं | ||
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न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था | न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था | ||
नहीं जनती है इनको मां, यही अब मां को जनते हैं | नहीं जनती है इनको मां, यही अब मां को जनते हैं | ||
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09:38, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी
तेरे ताबूत की कीलों से उनके तख़्त बनते हैं |