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दिल को समझाया, बहाने भर को  
 
दिल को समझाया, बहाने भर को  
 
आज ज़िंदा हैं, फ़साने भर को  
 
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तूने चाहा था दिखाने भर को
 
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09:39, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

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फ़साने भर को -आदित्य चौधरी

दिल को समझाया, बहाने भर को
आज ज़िंदा हैं, फ़साने भर को

वो जो इक शाम जिससे यारी थी,
आज हासिल है, ज़माने भर को

बाद मुद्दत के हसरतों ने कहा
तुमसे मिलते हैं, सताने भर को

तेरी ख़ुशी से हम हैं आज ख़ुश कितने
तुझसे मिलना है, बताने भर को

कौन कहता है बेवफ़ा तुझको
तूने चाहा था दिखाने भर को


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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