गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>फ़साने भर को<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>फ़साने भर को<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
---- | ---- | ||
− | + | <center> | |
− | + | <poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;"> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
दिल को समझाया, बहाने भर को | दिल को समझाया, बहाने भर को | ||
आज ज़िंदा हैं, फ़साने भर को | आज ज़िंदा हैं, फ़साने भर को | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 22: | ||
तूने चाहा था दिखाने भर को | तूने चाहा था दिखाने भर को | ||
</poem> | </poem> | ||
− | + | </center> | |
− | + | ||
|} | |} | ||
09:39, 5 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
फ़साने भर को -आदित्य चौधरी
दिल को समझाया, बहाने भर को |