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मैं समय हूँ, काल हूँ मैं -आदित्य चौधरी

मैं समय हूँ, काल हूँ मैं
सकल व्योमिक चाल हूँ मैं
पल, घड़ी और प्रहर हूँ मैं
दिवस मास और साल हूँ मैं

मैं समय संसार रचता
सकल ये ब्रह्माण्ड रचता
मुझसे सूरज चांद तारे
मैं तेरा आकार रचता

बारहों आदित्य मेरे
आठ वसुओं का मैं स्वामी
और ग्यारह रुद्र मुझको
मानते अपना रचयिता

एक नया ये वर्ष देने
फिर से तेरे सामने हूँ
फिर से जी ले
फिर से मर ले
संग मैं संग्राम में हूँ


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