बस कुछ नहीं कहा अब कुछ नहीं रहा आँसू जो कम पड़ें तो ले ख़ून से नहा अरसे से रुका दरिया इस मोड़ पर बहा सपने में घर बनाया सपने में ही ढहा यारी ग़मों से अपनी चल ये भी इक सहा