मर गए होते -आदित्य चौधरी
मरना ही शौक़ होता तो मर गए होते |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मुफ़लिसी = ग़रीबी
- ↑ आसाइश =समृद्धि
- ↑ बज़्म = सभा, महफिल
- ↑ माज़ूर = जिसे किसी श्रम या सेवा का फल दिया गया हो, प्रतिफलित
- ↑ पास = लिहाज़
- ↑ तौर = आचरण
- ↑ मुंतज़िर = इंतज़ार या प्रतीक्षा करने वाला
- ↑ रहमत = दया
- ↑ ताकीद = कोई बात ज़ोर देकर कहना