छो (Text replacement - "__INDEX__" to "__INDEX__ __NOTOC__")
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|-
 
|-
 
|
 
|
{| width=100% class="bharattable"
+
{| width=100% class="table table-bordered table-striped"
|-  
+
! style="width:60%;"| पोस्ट
+
! style="width:25%;"| संबंधित चित्र
+
! style="width:15%;"| दिनांक
+
 
|-
 
|-
|
+
|
 +
; दिनांक- 7 मार्च, 2015
 
<poem>
 
<poem>
 
पीते हम हैं  
 
पीते हम हैं  
पंक्ति 24: पंक्ति 21:
 
दहकते आप हैं
 
दहकते आप हैं
 
</poem>
 
</poem>
|
 
| 7 मार्च, 2015
 
 
|-
 
|-
 
|   
 
|   
 +
; दिनांक- 3 मार्च, 2015
 +
[[चित्र:Holi-peom-Aditya-Chaudhary.jpg|250px|right]]
 
<poem>
 
<poem>
 
आख़िर होली ने भी रंग बदल ही लिया ...
 
आख़िर होली ने भी रंग बदल ही लिया ...
पंक्ति 58: पंक्ति 55:
 
रंग ना लगाओ
 
रंग ना लगाओ
 
रंग ना लगाओ
 
रंग ना लगाओ
 
 
</poem>
 
</poem>
| [[चित्र:Holi-peom-Aditya-Chaudhary.jpg|250px|center]]
 
| 3 मार्च, 2015
 
 
|}
 
|}
 
|}
 
|}

08:24, 9 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

फ़ेसबुक अपडेट्स

दिनांक- 7 मार्च, 2015

पीते हम हैं
बहकते आप हैं
जीते हम हैं
चहकते आप हैं
खिलते हम हैं
महकते आप हैं
रोते हम हैं
सिसकते आप हैं
और...
जलते हम हैं
दहकते आप हैं

दिनांक- 3 मार्च, 2015
Holi-peom-Aditya-Chaudhary.jpg

आख़िर होली ने भी रंग बदल ही लिया ...

सुहानी सुबह
आज इक और होली

अलसाई आखोँ से
शरमा के बोली
मुझे ख़ूब खेला है
मैं भी तो खेलूँ

वो दिन गए
जब थी सीधी और भोली

पहले मेरी ज़ात के लोग लाओ
या उनके मज़हब से वाकिफ़ कराओ
यूँ ही मुझे कोई छूएगा कैसे
कोई ग़ैर कैसे करेगा ठिठोली

बहुत मौज लेली है फोकट में राजा
मुझको भी दारू की बोतल पिलाओ
रंगों की मस्ती में रक्खा ही क्या है

मैं इस शहर में और तुम उस शहर में
ई-कार्ड से रंग दिखाओ-सुनाओ

यूँ भी अलर्जी है मुझको रंगों से
कुछ भी करो यार
रंग ना लगाओ
रंग ना लगाओ


शब्दार्थ

संबंधित लेख

सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: adityapost@gmail.com   •   फ़ेसबुक