गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "class="bharattable"" to "class="table table-bordered table-striped"") |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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क्या आप किसी का सुख-दु:ख, भीतर का संताप-अवसाद और अच्छा-बुरा... | क्या आप किसी का सुख-दु:ख, भीतर का संताप-अवसाद और अच्छा-बुरा... | ||
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दो ही बात हो सकती हैं कि या तो वह आपका अपना नहीं हैं या आप उसके अपने नहीं हैं। | दो ही बात हो सकती हैं कि या तो वह आपका अपना नहीं हैं या आप उसके अपने नहीं हैं। | ||
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+ | ; दिनांक- 31 मार्च, 2014 | ||
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इस दुनिया में बहुत कुछ बदलता है | इस दुनिया में बहुत कुछ बदलता है | ||
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सब चलता है | सब चलता है | ||
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+ | ; दिनांक- 31 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-13.jpg|250px|right]] | ||
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कभी तू है बादल | कभी तू है बादल | ||
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उसे सबने अाँखों का पानी कहा है | उसे सबने अाँखों का पानी कहा है | ||
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+ | ; दिनांक- 31 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-14.jpg|250px|right]] | ||
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चाहे बैठे हों खेत खलिहान में | चाहे बैठे हों खेत खलिहान में | ||
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जो कभी मिलता नहीं है | जो कभी मिलता नहीं है | ||
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+ | ; दिनांक- 23 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-15.jpg|250px|right]] | ||
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इविंग स्टोन ने विश्व के महान चित्रकार (पेन्टर) 'वॅन गॉफ़' की जीवनी लिखी है। यह विश्व की महानतम जीवनियों में एक मानी जाती है। इस पुस्तक में अनेकों प्रसंग ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर 'वॅन गॉफ़' के अद्भुत व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना रह पाना संभव नहीं है। यह पुस्तक मैंने संभवत: 25 वर्ष पहले पढ़ी होगी। | इविंग स्टोन ने विश्व के महान चित्रकार (पेन्टर) 'वॅन गॉफ़' की जीवनी लिखी है। यह विश्व की महानतम जीवनियों में एक मानी जाती है। इस पुस्तक में अनेकों प्रसंग ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर 'वॅन गॉफ़' के अद्भुत व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना रह पाना संभव नहीं है। यह पुस्तक मैंने संभवत: 25 वर्ष पहले पढ़ी होगी। | ||
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"दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है। आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है, वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है, वह तो पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है। वह उदारता प्राप्त करने को आया है। वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है। | "दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है। आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है, वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है, वह तो पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है। वह उदारता प्राप्त करने को आया है। वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है। | ||
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+ | ; दिनांक- 16 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-16.jpg|250px|right]] | ||
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कहते हैं प्लॅटो जैसा गुरु और अरस्तु जैसा शिष्य एथेंस, यूनान (ग्रीस) में कभी दूसरा नहीं हुआ। प्लॅटो की यूटोपियन धारणा की अरस्तु ने आलोचना की है। आज विश्व के अधिकतर देशों (विशेषकर पश्चिम) में अरस्तु की दार्शनिक पद्धति का अनुसरण होता है। | कहते हैं प्लॅटो जैसा गुरु और अरस्तु जैसा शिष्य एथेंस, यूनान (ग्रीस) में कभी दूसरा नहीं हुआ। प्लॅटो की यूटोपियन धारणा की अरस्तु ने आलोचना की है। आज विश्व के अधिकतर देशों (विशेषकर पश्चिम) में अरस्तु की दार्शनिक पद्धति का अनुसरण होता है। | ||
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"कुपात्र को दिया गया दान भी व्यर्थ जाता है।" | "कुपात्र को दिया गया दान भी व्यर्थ जाता है।" | ||
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+ | ; दिनांक- 5 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-17.jpg|250px|right]] | ||
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एक लयबद्ध जीवन जीने की आस | एक लयबद्ध जीवन जीने की आस | ||
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हक़ीक़त भरे सपने हों... | हक़ीक़त भरे सपने हों... | ||
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+ | ; दिनांक- 4 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-18.jpg|250px|right]] | ||
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न नई है न पुरानी है | न नई है न पुरानी है | ||
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उल्लू या नेता ?" | उल्लू या नेता ?" | ||
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+ | ; दिनांक- 4 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-19.jpg|250px|right]] | ||
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वक़्त बहुत कम है और काम बहुत ज़्यादा है | वक़्त बहुत कम है और काम बहुत ज़्यादा है | ||
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लेकिन ये कोशिश नाक़ाम बहुत ज़्यादा है | लेकिन ये कोशिश नाक़ाम बहुत ज़्यादा है | ||
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+ | ; दिनांक- 4 मार्च, 2014 | ||
+ | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-20.jpg|250px|right]] | ||
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फ़ासले मिटाके, आया क़रीब होता | फ़ासले मिटाके, आया क़रीब होता | ||
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इक साथ उसका होना, राहत तमाम होता | इक साथ उसका होना, राहत तमाम होता | ||
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10:23, 10 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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